सिंघाड़े के चीले
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सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, विटामिन बी -6, रिबॉफ्लेविन आदि प्रचुर मात्रा में होता है. यह कच्चा भी खाया जाता है, और उबाल कर भी. सिंघाड़े के व्यंजन उपवास के दिनों में भी बनाए जाते हैं. शरद नवरात्रि के समय भारत में सिंघाड़े बहुतायत में आते हैं. वैसे सिंघाड़े का आटा पुर साल आसानी से मिल जाता है, अगर आपको सिंघाड़े का आटा ना मिले तो आप कूटू के आटे का प्रयोग भी कर सकते हैं इन चीलों को बनाने के लिए..
सामग्री
(10-12 चीले के लिए)
- सिंघाड़े का आटा 1 कप
- हरी मिर्च 1-2
- सेंधा नमक ½ छोटा चम्मच
- तेल / घी 1 बड़ा चम्मच
- पानी लगभग 1¼-1½ कप
बनाने की विधि :
- हरी मिर्च का डंठल हटा कर और उसे अच्छे से धो कर महीन-महीन काट लें.
- अब एक बड़े कटोरे में सिंघाड़े का आटा, सेंधा नमक, और कटा हरी धनिया को अच्छे से मिलाएँ. अब इसमें थोड़ा-थोड़ा करके पानी डालते हुए चीले का घोल तैयार करे. इसमें तकरीबन टीन चौथाई कप पानी लगता है.
- अब नौन स्टिक तवे को गरम करें. इसमें तकरीबन 1 बड़ा चम्मच चीले का घोल तकरीबन 3 इंच के गोले में फ़ैलाएँ.
- थोड़ा सा तेल लगाकर दोनों तरफ से चीले को सेक लें.
गरमागरम चीले को दही के आलू के साथ परोसें.
कुछ और उपवास के व्यंजन